आखिर कब लेंगे दर्दनाक हादसों से सबक ? - Khulasa Online आखिर कब लेंगे दर्दनाक हादसों से सबक ? - Khulasa Online

आखिर कब लेंगे दर्दनाक हादसों से सबक ?

बीकानेर। बुधवार को हुए हादसे ने कानून व्यवस्था और प्रशासन को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है।
यह पहला मौका नहीं है कि जिले में इतना बड़ा सड़क हादसा हुआ, इससे पहले भी ऐसे हादसे होते रहे हैं, पहले भी बीकानेर की सड़कें खून से लाल हुई हैं। पहले भी मौत ने तांडव किया है और कई घरों के चिराग एक साथ बुझे हैं, लेकिन क्या हमने इन हादसों से सबक लिया? क्या जिले के अधिकारियों ने गंभीरता से इस बारे में कभी सोचा? शायद नहीं, हादसे के अगले ही दिन उसी तरह की सड़कों पर यमराज बनकर ट्रैक्टर-ट्राली सरपट दौड़ते रहे है। मंजर ये रहा कि हादसे के कुछ घंटों बाद ही इस रोड पर रात को ट्रक,ट्रोले व ओवरलोड वाहन सड़क के दोनों किनारों पर खड़े नजर आएं।
भाटी करते रहे है आवाज बुलंद,लेकिन हालात वहीं ढाक के तीन पात
जैसलमेर रोड पर सड़क के दोनों ओर बेतरजीब खड़े वाहनों को लेकर पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी अनेक बाद आन्दोलन कर चुके है। उनके आन्दोलन के परिणाम स्वरूप कुछ दिनों तक तो कानून के रखवाले चाक चौबंद होकर व्यवस्था सुधारने में लग जाते है। किन्तु समय बीतने के साथ ही हालात वहीं ढाक के तीन पात वाली हो जाती है।
कौन ले जिम्मेदारी
साल दर साल होने वाले बड़े हादसों के बाद जांच बैठाने और व्यवस्था में सुधार की बात की जाती है, मगर नतीजा फिर भी कुछ नहीं निकलता और कुछ समय बाद और बड़ा हादसा हो जाता है। दर्दनाक हादसों से न तो वाहन चालक सबक लेते हैं और न ही प्रशासन व सरकार। नियमों की अनदेखी सरेआम होती है। ओवर लोडिंग व चालक को मोबाइल पर बात करना अकसर देखा जाता है। बुधवार का दिन बीकानेरवासियों के लिये कई चाहे अनचाहे सवाल खड़ा कर गया। आखिर जैसलमेर हाई वे पर हुए दर्दनाक हादसे का जिम्मेदार कौन? बंद कमरों में कानून और व्यवस्था को लेकर बैठकें आयोजित कर दिशा निर्देश देने वाले या सदनों में कानून बनाकर आमजन की वाहीवाही लूटने वाले।
पहले भी हो चुके है अनेक हादसे
जिले में सड़क हादसों का पुराना इतिहास है। बीते सालों में हुए सड़क हादसों में सैकड़ों लोग काल के गाल में समा चुके हैं। यही कारण है कि आए दिन सड़क हादसों पर नियंत्रण के लिए पुलिस एवं प्रशासन की बैठकों में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं। परन्तु इसकी अनुपालना नजर नहीं आती। जिस जैसलमेर हाईवे पर यह हादसा हुआ। सबसे ज्यादा ओवरलोड वाहन इसी मार्ग से निकलते है। मजे की बात तो यह है कि करमीसर जाने वाले रास्ते और पूगल रोड तिराहे पर यातायात कर्मी तैनात रहते है। उसके बाद भी नो एंट्री जोन में ओवरलोड वाहन देखे जा सकते है। जिनके खिलाफ कार्यवाही तक नहीं होती। अनेक बार ऐसे वाहनों से ट्रेफिककर्मियों द्वारा रूपये लेने के विडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जिन लोगों के पास शहर की व्यवस्था का जिम्मा, उसे चलाने का दायित्व है, वे इस हादसे से कितना सबका लेंगे? या फिर हमेशा की तरह कुछ दिन रस्म अदायगी होगी और फिर वही ढाक के तीन पात।

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