151 प्राइवेट ट्रेनों में पहले 12 से होगी शुरुआत, पढ़े पूरी खबर - Khulasa Online 151 प्राइवेट ट्रेनों में पहले 12 से होगी शुरुआत, पढ़े पूरी खबर - Khulasa Online

151 प्राइवेट ट्रेनों में पहले 12 से होगी शुरुआत, पढ़े पूरी खबर

नई दिल्ली। हाल ही में रेलवे ने देश के 109 जोड़ी व्यस्त रूटों पर प्राइवेट ट्रेनों के संचालन का ऐलान किया है। अब रेलवे की ओर से इन 151 ट्रेनों के शुरू होने का एक संभावित टाइमलाइन भी बता दिया गया है। शुरू में सिर्फ 12 ट्रेनें ही चलाई जाएंगी और धीरे-धीरे करके बाकी सभी 151 ट्रेनों का संचालन भी शुरू कर दिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट से रेलवे को सालाना लगभग 3,000 रुपये की कमाई की उम्मीद है और इसके जरिए देश में करीब 30,000 करोड़ रुपये की निवेश की संभावना है। इन निजी ट्रेनों को इसलिए भारतीय रेलवे के ट्रैक पर उतारा जा रहा है, ताकि ये रेल यात्रियों को विश्व स्तरीय सुविधाएं मुहैया करा सकें। भारतीय रेलवे को पूरा यकीन है कि उसकी रेल ट्रैक पर प्राइवेट ट्रेनों के संचालन शुरू होने के बाद जहां यात्रियों को विश्व स्तरीय सुविधाएं मिल पाएंगी, वहीं उसे निजी ऑपरेटरों से वहन चार्ज के रूप में भी सालाना मोटी रकम भी मिलेगी। रेलवे ने यह भी साफ कर दिया है 70 फीसदी प्राइवेट ट्रेनों का निर्माण भारत में ही मेक इन इंडिया अभियान के तहत किया जाएगा। इन ट्रेनों की डिजाइनिंग इस तरह से होगी कि यह 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकें। अगर ये ट्रेनें इतनी रफ्तार पकड़ती हैं तो यात्रा में अभी लगने वाला समय 30 फीसदी तक कम होने का अनुमान है; और ये ट्रेनें अगर 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं तो 10 से 15 फीसदी समय की बचत होगी। रेलवे के मुताबिक प्राइवेट ट्रेनों से यात्रा में या तो उतना ही वक्त लगेगा जितना अभी सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेनों से लगता है या उससे भी बहुत कम वक्त लगेगा। अभी शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस गाडिय़ां सबसे तेज रफ्तार से चलती हैं।
रेलवे निजी ट्रेन ऑपरेटरों से कुछ मानकों का पूरी तरह से पालन करने को कहेगा, ताकि जिस मकसद से देश के सबसे बड़े ट्रांसपोर्टर के ट्रैक पर निजी कंपनियों को उतारे जाने का फैसला किया गया है, वह पूरा हो सके। मसलन, इन ट्रेनों को समय का पाबंद होना होगा (95त्न), विश्वसनीयता बनाए रखनी होगी (1 लाख किलोमीटर की यात्रा में 1 से ज्यादा असफलता नहीं), ट्रेनों की साफ-सफाई और बाकी सुविधाएं विश्व स्तरीय रखनी होगी। इन ट्रेनों की अपनी मेंटेनेंस के लिए भारतीय रेलवे की ओर से बताए गए मानकों का पालन करना होगा। ये ट्रेनें भारतीय रेलवे के ट्रैक, स्टेशनों और बाकी संसाधनों का इस्तेमाल करेंगी, जिसके बदले में उन्हें रेलवे को वहन का शुल्क देना होगा। रेलवे के अनुमान के मुताबिक 151 निजी ट्रेनों के ऑपरेशनल होने के बाद उसे कम से कम इनसे 3, 000 करोड़ रुपये की सालाना कमाई होगी।
2023 से चलने लगेंगी 12 निजी ट्रेनें
रेलवे की योजना के मुताबिक देशभर के जिन 109 जोड़ी रूटों पर निजी ट्रेनें चलनी हैं, उनमें से 12 ट्रेनों की पहले सेट को 2023 में ही हरी झंडी दिखा दी जाएगी। इसके अगले वित्त वर्ष (2023-2024) में 45 और निजी ट्रेनों का संचालन शुरू हो जाएगा। जबकि, वित्त वर्ष 2025-26 में 50 और निजी ट्रेनें शुरू होंगी और उसके अगले वित्त वर्ष यानि 2026-2027 में बाकी 44 प्राइवेट ट्रेनें भी चलनी शुरू हो जाएंगी। रेलवे के इस प्रोजेक्ट में करीब 30,000 करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है। गौरतलब है कि रेलवे ने इसी महीने की शुरुआत में इन ट्रेनों के संचालन के लिए कंपनियों से प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। रेलवे के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया है कि ‘हमनें एक योजना तैयार की है, जिसके तहत हमें निजी ट्रेनों के संचालन शुरू होने की उम्मीद है। 2021 के मार्च तक टेंडर तय कर दिए जाएंगे और मार्च, 2023 से ट्रेनें चलनी शुरू हो जाएंगी।
संचालन में खामी रहने पर कंपनियों को भरना होगा जुर्माना
बता दें कि रेलवे ने इन प्राइवेट ट्रेनों के ऑपरेटरों से वहन शुल्क के अलावा पहले से निर्धारित दंड भी तय करने का फैसला किया है, जो उनसे तब वसूला जाएगी जब रेलवे की ओर से उन्हें दिए गए मानकों, मसलन परफॉर्मेंस स्टैंडर्ड और आउटकम्स पर खरे नहीं उतरेंगे। इसी तरह रेलवे भी अगर वादे के मुताबिक उन्हें जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं करवा पाएगा तो उसे भी जुर्माना देना होगा। एक खास बात ये है कि इन प्राइवेट ट्रेनों को भी भारतीय रेलवे के गार्ड और ड्राइवर ही चलाएंगे।

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